मुंबई : शहर में पिछले कुछ वर्षों से आवारा कुत्तों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है, जिसका नतीजा २१,००० से अधिक लोगों को कुत्ता काटने के मामलों के रूप में सामने आया। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि उल्हासनगर मनपा ने इतने गंभीर आंकड़ों के बावजूद समय पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब जब मीडिया और जनता का दबाव बढ़ा तो मनपा ने अचानक नसबंदी विभाग को दोबारा सक्रिय करते हुए डॉग वैन सेवा शुरू कर दी है। सवाल यह उठता है कि जब नसबंदी केंद्र पहले से मौजूद था तो उसे चालू हालत में क्यों नहीं रखा गया? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही नहीं है?
रिपोर्ट की मानें तो मनपा अधिकारियों का कहना है कि दो डॉग वैन पूरे शहर में गश्त कर आवारा कुत्तों को पकड़ेगी। नसबंदी के बाद उन्हें उन्हीं के इलाकों में छोड़ दिया जाएगा। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये कदम पहले ही उठाए जाने चाहिए थे। जब हजारों लोग पहले ही कुत्तों के शिकार हो चुके हैं, तब जागना क्या सिर्फ दिखावटी कार्रवाई है? इतनी बड़ी संख्या में केस दर्ज होने के बावजूद मनपा की निष्क्रियता कई सवाल खड़े करती है। नसबंदी केंद्र का उद्घाटन भले ही पिछले साल किया गया हो, लेकिन उसे चालू रखने की जवाबदारी किसकी थी?
यह स्पष्ट है कि शहर की जनता को समय रहते सुरक्षा देने में मनपा की भूमिका गंभीर नहीं रही है। अब डॉग वैन सेवा की शुरुआत स्वागतयोग्य जरूर है, लेकिन यह देर से उठाया गया कदम है, जिसकी कीमत हजारों नागरिकों ने अपने जख्मों से चुकाई है।