वक्फ संशोधित कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले में दायर 70 याचिकाओं पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट में असदुद्दीन ओवैसी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सहित अन्य याचिकाकर्ता के वकीलों ने बहस की. वक्फ कानून पर लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश देने जा रहा था. सीजेआई ने पहले कहा, हम अंतरिम आदेश जारी करने जा रहे हैं. हमारा अंतरिम आदेश इक्विटी को संतुलित करेगा. हम कहेंगे कि जो भी संपत्तियां कोर्ट ने वक्फ घोषित की हैं, उन्हें गैर-वक्फ नहीं माना जाएगा या उन्हें गैर-वक्फ नहीं माना जाएगा.. चाहे वह उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ हो या नहीं. कलेक्टर कार्यवाही जारी रख सकते हैं.. लेकिन प्रावधान प्रभावी नहीं होगा. बोर्ड और परिषद के संबंध में.. पदेन सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं लेकिन अन्य सदस्य मुस्लिम होने चाहिए. हालांकि बाद में कोर्ट ने इस पर कोई आदेश नहीं दिया. मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को भी होगी.
इन याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की कई धाराओं को संविधान विरोधी बताते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की गई है. वहीं वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के समर्थन में कई राज्यों ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और राजस्थान ने अर्जी दाखिल कर मामले में पक्षकार बनने की अनुमति मांगी है. इन राज्यों ने वक्फ कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की इस दलील का विरोध किया कि वक्फ संशोधन अधिनियम संविधान का उल्लंघन करता है. उधर केंद्र सरकार को भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट संसद से पारित इस कानून को गिराएगा नहीं.सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामला कोर्ट में है, और फैसला यहीं होगा.