मुंबई : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने गुड़ी पड़वा के दिन ‘मी मराठी (मैं मराठी)’ अभियान शुरू किया। यह मराठी नव वर्ष का दिन 30 मार्च था। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि जो लोग राज्य में मराठी बोलने से इनकार करते हैं उन्हें थप्पड़ मारने में संकोच न करें। लेकिन, MNS प्रमुख का मराठी भाषा और पहचान की राजनीति को लेकर यह नया अभियान ज्यादा दिन नहीं चला। इसे कई तरफ से भारी विरोध का सामना करना पड़ा। उनका यह दांव उल्टा पड़ गया और उन्होंने इसे कैंपेन को वापस ले लिया।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सूत्रों का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर दबाव था कि वह इस क्षेत्रीय संगठन पर सख्ती से लगाम लगाए। आखिर देवेंद्र फडणवीस ने राज ठाकरे पर लगाम लगाई। सूत्रो की मानें तो यही कारण है कि राज ठाकरे इस मुद्दे से पीछे हट गए।
बिहार चुनाव पर असर का डर
बीजेपी के एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि राज ठाकरे के अभियान का असर बीजेपी के उत्तर भारतीय वोटरों पर पड़ रहा था। बीजेपी अपने इन उत्तर भारतीय कोर वोटर्स को नाराज नहीं करना चाहती है क्योंकि अब बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। मुंबई में उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा की छोटी-मोटी घटना भी बिहार चुनाव में बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है।
उत्तर भारतीयों में था गुस्सा
उत्तर भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक BJP नेता ने गणेश चतुर्थी के 10 दिनों के उत्सव में गैर-मराठियों की सक्रिय भागीदारी का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि जिस राज्य में कोई बसता है, उसकी संस्कृति, भाषा और व्यवस्था को अपनाना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि किसी को मराठी सिखाने के लिए उस पर हमला करने की जरूरत नहीं है।
ठंडे पड़े राज ठाकरे, बोले- समझौता नहीं लेकिन…
राज ठाकरे की गुड़ी पड़वा रैली के बाद राज्य भर से खबरें आईं कि MNS कार्यकर्ताओं ने उन लोगों पर हमला किया जो मराठी नहीं बोलते। शनिवार को MNS प्रमुख ने अपनी पार्टी के वर्कर्स से कहा कि कानून को अपने हाथ में न लें। उन्होंने कहा कि जब भी मराठी को हल्के में लिया जाएगा, हम हस्तक्षेप करेंगे। हम समझौता नहीं कर रहे हैं। हम कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहते। मैं सरकार से उम्मीद करता हूं कि वह राज्य भर के सभी प्रतिष्ठानों में मराठी के कार्यान्वयन के संबंध में कानून का पालन करेगी।
बैंक यूनियनों के लेटर के बाद राज ठाकरे क्या बोले
बैंक यूनियनों ने भी देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर हमलों पर गंभीर आपत्ति जताई थी। राज ठाकरे का अनुरोध उसके एक दिन बाद आया। पत्र में लिखा था कि बैंक अधिकारियों को धमकी दी जा रही है और उन पर हमला किया जा रहा है। इस तरह का डराने-धमकाने का माहौल कर्मचारियों की भलाई और वित्तीय संस्थानों के कामकाज के लिए ठीक नहीं है।
महाराष्ट्र पर आर्थिक असर की चिंता
उद्योग के कई क्षेत्रों ने हिंसा पर चिंता जताई गई। सूत्र ने कहा कि BJP के भीतर भी, गैर-मराठी घटकों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं ने पार्टी के राज्य और केंद्रीय नेतृत्व के साथ इस मुद्दे को उठाया। इन सबसे ऊपर, सरकार को इस बात की चिंता थी कि MNS का अभियान ऐसे समय में आया है जब फडणवीस ने 2028 तक महाराष्ट्र को एक ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। उसे डर था कि इन घटनाओं से राज्य में अनुकूल राजनीतिक माहौल में बाधा आएगी, जो एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसे वैश्विक निवेशक निवेश करने से पहले ध्यान में रखते हैं।