मुंबई: पिछले दिनाें आरबीआई ने मुंबई स्थित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर कई तरह के बैन लगाए थे। जिसके बाद ग्राहकों में हड़कंप मच गया था। इस बैंक में 122 करोड़ का घोटाला सामने आया था। जिसके बाद पूर्व महाप्रबंधक और खातों के प्रमुख हितेश मेहता को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में एक आरोपी अब तक फरार था। फरार चल रहे अरुणाचलम उल्लानाथन मारुथुवर को लेकर रविवार को पुलिस ने बड़ी जानकारी दी है।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने रविवार को न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के गबन के मामले में वांछित आरोपी को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले एक महीने से फरार चल रहे अरुणाचलम उल्लानाथन मारुथुवर (62) ने रविवार को सुबह दक्षिण मुंबई स्थित ईओडब्ल्यू कार्यालय में सरेंडर कर दिया।
ईओडब्ल्यू अधिकारी ने बताया कि सरेंडर करने के बाद अरुणाचलम मारुथुवर को अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 18 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। इस मामले में यह छठी गिरफ़्तारी है। पुलिस के मुताबिक, अरुणाचलम को सहकारी बैंक के पूर्व महाप्रबंधक और खातों के प्रमुख हितेश मेहता से गबन की गई राशि में से लगभग 30 करोड़ रुपए मिले थे।
वित्तीय अपराध निरोधक इकाई ने शुक्रवार को वांछित आरोपी और सिविल ठेकेदार कपिल देधिया को पड़ोसी गुजरात के वडोदरा से गिरफ़्तार किया। यहां की एक अदालत ने उसे 19 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। पुलिस ने बताया कि गबन की गई राशि में से 12 करोड़ रुपए उसके खाते में जमा किए गए थे।
पुलिस के अनुसार, न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के मुंबई स्थित प्रभादेवी और गोरेगांव कार्यालयों की तिजोरियों से पूर्व महाप्रबंधक हितेश मेहता ने 122 करोड़ रुपये निकाल लिए थे। इस मामले में जांच जारी है।
बैंक में गबन के मामले में 6 आरोपियों की गिरफ्तारी के अलावा कुछ और व्यक्तियों को भी वांछित आरोपी बनाया गया है, जिनमें बैंक के पूर्व चेयरमैन हिरेन भानु और उनकी पत्नी, पूर्व वाइस चेयरमैन गौरी भानु भी शामिल हैं, जो घोटाला सामने आने से ठीक पहले विदेश भाग गए थे।